क्या है एंटी पेपर लीक बिल:
सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 भारत में हाल ही में पारित एक कानून है जिसका उद्देश्य धोखाधड़ी पर अंकुश लगाना और सार्वजनिक परीक्षाओं की शुचिता को बनाए रखना है।
क्या है एंटी पेपर लीक बिल को लागु करने की कारण:
हल ही में नीट(NEET) की परीक्षाओ में हुए धोखा धड़ी या कहे पेपर लीक के मामले और कदाचार से संबंधित कई चिंताओं के कारण सरकार को सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024 पेश करने की आवश्यकता महसूस हुई।
राज्य पीएससी जैसी प्रवेश परीक्षाओं और यहां तक कि स्कूल बोर्ड परीक्षाओं सहित विभिन्न सार्वजनिक परीक्षाओं में धोखाधड़ी के मामले बार-बार सामने आए हैं। इन मामलों में पेपर लीक, संगठित नकल गिरोह, प्रतिरूपण और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के उपयोग जैसी प्रथाएँ शामिल थीं। जिसके कारण इस कानून को 21जून 2024 को लागु कर दिया गया है
एंटी पेपर लीक बिल में कौन से प्रावधान है :
अनुचित साधनों को परिभाषित करना:
- अधिनियम में “अनुचित साधनों” को व्यापक रूप से परिभाषित करते हुए विभिन्न कदाचारों को शामिल किया गया है, जैसे:
- प्रश्नपत्र या उत्तरकुंजी लीक होना
- परीक्षा के दौरान अभ्यर्थियों की सहायता करना (अनधिकृत संचार, समाधान प्रदान करना)
- कंप्यूटर नेटवर्क या संसाधनों के साथ छेड़छाड़
- उम्मीदवारों का प्रतिरूपण करना
- फर्जी परीक्षाएं आयोजित करना या फर्जी दस्तावेज जारी करना
- योग्यता सूची या रैंक के लिए दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़
दंड और सज़ा:
- व्यक्ति:
- अपराध की गंभीरता के आधार पर 3 से 10 वर्ष तक का कारावास
- संगठित अपराधों के लिए 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना
- सेवा प्रदाताओं:
- कदाचार में संलिप्तता पर 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना
- 4 वर्षों तक सार्वजनिक परीक्षा आयोजित करने पर रोक
- शामिल निदेशकों/प्रबंधन के लिए व्यक्तिगत दायित्व
- संगठित अपराध:
- कठोर दंड, जिसमें 5 से 10 वर्ष तक कारावास और न्यूनतम 1 करोड़ रुपये का जुर्माना होगा।
- संबंधित संस्था को संपत्ति कुर्क करने और जब्त करने का सामना करना पड़ सकता है
प्राधिकारियों को सशक्त बनाना:
- परीक्षा केंद्रों पर अचानक जांच करें और गड़बड़ी का संदेह होने पर इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त करें
- कदाचार के दोषी पाए गए सेवा प्रदाताओं को काली सूची में डाला गया
- संगठित धोखाधड़ी से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए जानकारी साझा करें और एजेंसियों के बीच समन्वय करें
अतिरिक्त उपाय:
- अपराधों की शीघ्र सुनवाई के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना
- विधेयक और इसके निहितार्थों के बारे में जन जागरूकता को बढ़ावा देना
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